kamar dard ka ilaj

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Kamar Dard
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कमर दर्द के देसी नुस्खे

आजकल के युवा कमर दर्द से खासे परेशान रहते हैं। इनमें लड़के और लड़कियां दोनों ही शामिल हैं। हर किसी के पास इस कमर दर्द की वजह अलग हो सकती है। लेकिन जरूरत सभी की एक है कि कैसे जल्दी से जल्दी इस कमर दर्द से मुक्ति मिले। कोरोना संक्रमण को देखते हुए ज्यादातर लोग हॉस्पिटल्स जाने से बच रहे हैं। इस कारण जो ऐसी दिक्कतें हैंजिनके इलाज के लिए हम घरेलू या लाइफस्टाइल से जुड़े उपाय अपना सकते हैंउन्हीं से अपना इलाज आजकल अधिक किया जा रहा है। घर में बैठे रहने के कारण जिस समस्या ने सबसे अधिक लोगों को परेशान किया हैवह है कमर दर्द

 

दर्द से मुक्ति पाने के घरेलू तरीके-

-एक बड़ा स्पून सरसों या नारियल का तेल लें। इसमें लहसुन 5 से 6 छिली हुई कलियां डालकर पका लें। जब तेल ठंडा हो जाए तो इस तेल से नहाने से पहले शरीर की मालिश करें। खास तौर पर कमर के हिस्से की।

 

डायटिंग के बाद बढ़ जाता है वजनयो-यो डायट सिंड्रोम हो सकता है वजह

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लहसुन नैचरल पेनकिलर की तरह काम करता है। यह आपको जल्द राहत देगा। इस बात का ध्यान रखें मालिश करने के कम से कम 30 मिनट बाद नहाने जाएं। ताकि आपका शरीर इस तेल को अच्छी तरह सोख ले।

डिलीवरी के बाद कमर दर्द तो इन घरेलू तरीके-

महिलाओं को गर्भावस्था के नौ महीने ही नहीं बल्कि डिलीवरी के बाद भी कई स्वास्थ् समस्याएं परेशान करती हैं जिनमें से एक कमर दर्द भी है।

 

प्रसव के बाद कमर दर्द से छुटकारा पाने के आप घरेलू नुस्खे और घरेलू तरीके इस्तेमाल कर सकती हैं। यहां हम आपको डिलीवरी के बाद कमर दर्द दूर करने के घरेलू उपायों के बारे में बता रहे हैं।

 

डिलीवरी के बाद कमर दर्द

डिलीवरी के तुरंत बाद कोई शारीरिक गतिविध  करें। नौ महीने के प्रेगनेंसी के बाद मांसपेशियों और जोड़ों को आराम की जरूरत होती है। ज्यादा भारी चीजें उठाने से बचें और वेट ट्रेनिंग एक्सरसाइज  करें क्योंकि इनकी वजह से मांसपेशियों और जोड़ों पर दबाव पड़ सकता है।

 

आमतौर पर डिलीवरी के बाद 6 महीने के अंदर कमर दर्द चला जाता है। इतने समय में रिलैक्सिन हार्मोन का स्तर सामान् हो सकता है और शरीर अपनी सामान् अवस्था में  जाता है। मांसपेशियों के टोनजोड़ों के टाइट और शरीर के दोबारा मजबूत होने पर कमर दर्द चला जाता है।

 

कमर दर्द से राहत

 

दिन में थोड़ी-थोड़ी देर में कमर की तेल से मालिश करें। मालिश से शरीर में रक् प्रवाह बढ़ता है और मांसपेशियों में दर्द से राहत मिलती है।

कमर दर्द से राहत पाने के लिए गर्म या ठंडी सिकाई भी कर सकती हैं। गर्म या ठंडा वॉग् बैग कमर के ऊपर लगाने से दर्द से आराम मिलेगा।

आप दर्द निवारक ऑइंटमेंट भी कमर पर लगा सकती हैं। इससे तुरंत आराम मिलेगा।

 यौगिक व्यायाम या आसन


योग शब्द संस्कृत भाषा के शब्द ‘युज’ से बना है, जिसका अर्थ है जोड़ या मेल। इस तरह शरीर और मन के मेल को योग कहते हैं या योग वह क्रिया है जिससे जीव की आत्मा का प्रमात्मा से मेल होता है।

योग का लक्ष्य - योग का मुख्य लक्ष्य शरीर को नीरोग, जोशीला, लचकदार और चुस्त बनाने के साथ-साथ महानु् ताकतों का विकास करके मन को जीतना है इससे आत्मा का प्रमात्मा से मेल करवाकर आवागमन के चक्कर से छुटकारा पाकर मुक्ति हासिल करना है।


यौगिक व्यायाम/आसन के नियम-

(1) यौगिक व्यायाम/आसन का अभ्यास सुबह करना चाहिए, अच्छा हो अगर यह नहाकर किया जाए। नहाने से शरीर में लचक भी आती है।

(2) योग आसन शांत जगह पर और खुली हवा में करना चाहिए।

(3) योग आसन एकाग्र मन से करना चाहिए। इससे अधिक लाभ होता है।

(4) आसनों का अभ्यास धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। इससे शरीर के सभी अंग धीरे-धीरे खुल जाते हैं और लचक पैदा होती है।

(5) योग आसन करते समय शरीर पर कम-से कम कपड़े होने चाहिएँ, परन्तु सर्दियों में उचित कपड़े पहनने चाहिएँ।

(6) योग आसनों का अभ्यास बच्चे, बूढ़े, स्त्रियाँ और पुरुष प्रत्येक आयु में कर सकते हैं। परन्तु अभ्यास करने से पहले किसी अनुभवी व्यक्ति से जानकारी ले लेनी चाहिए।

(7) योग आसन खाली पेट करना चाहिए। योग आसन करने से दो घंटे बाद भोजन करना चाहिए।

(৪) बीमार या बुखार वाले व्यक्ति को प्राणायाम नहीं करने चाहिएँ ।

(9) योग आसन करने के बाद शव आसन अवश्य करना चाहिए। आसनों का लाभ तभी मिल सकता है अगर बाद में हम शव आसन करते हैं।


 भुजंगासन, ताड़ासन एवं धनुरासन की विधियों एवं इनसे होने वाले लाभ 


हमारे जीवन में शारीरिक तदुरुस्ती का अपना विशेष महत्त्व है। शरीर को स्वस्थ एवं नीरोग रखने में यौगिक व्यायामों या आसनों का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। ये आसन विद्यार्थियों को किसी योग्य प्रशिक्षक की देखरेख में करने चाहिएँ।

1. भुजंगासन-इसमें चित्त लेटकर धड़ को दीला किया जाता है। 

विधि- इसे सर्पासन भी कहते हैं। इसमें शरीर की स्थिति सर्प के आकार जैसी होती है। सर्पासन करने के लिए भूमि पर पेट के बल लेटें। दोनों हाथ कंधों के बराबर रखें। धीरे-धीरे टॉँगों को अकड़ाते हुए हथेलियों के बल छाती को इतना ऊपर उठाएँ कि भुजाएँ बिल्कुल सीधी हो जाएँ। पंजों को अंदर की ओर करें और सिर को धीरे धीरे पीछे की ओर लटकाएँ । धीरे-धीरे पहली स्थिति में लौट आएँ। इस आसन को तीन से पाँच बार करें।


लाभ-1. भुजंगासन से पाचन शक्ति बढ़ती हैं।

2. जिगर और तिल्ली के रोगों से छुटकारा मिलता है।

3. रीढ़ की हड्डी और माँसपेशियाँ मजबूत बनती हैं।

4. कब्ज़ दूर होती है।

5. यह आसन गर्दन, कंधों, छाती और सिर को अधिक क्रियाशील वनाता है।


2. ताड़ासन -इस आसन में खड़े होने की स्थिति में धड़ को ऊपर की ओर खींचा जाता है। इस आसन में स्थिति ताड़ के वृक्ष जैसी होती है। 


विधि-खड़े होकर पाँव की एड़ियों और अंगुलियों को जोड़कर भुजाओं को ऊपर सीधा करें हाथों की अंगुलियाँ एक-दूसरे हाथ में फँसा लें। हथेलियाँ ऊपर और नज़र सामने हो। अपना पूरा साँस अंदर की ओर खींचें। एड़ियों को ऊपर उठाकर शरीर का सारा भार पंजों पर ही डालें। शरीर को ऊपर की ओर खींचें। कुछ समय के बाद साँस छोड़ते हुए शरीर को नीचे लाएँ । ऐसा दस-पंद्रह बार करो।


लाभ-1, इससे शरीर का मोटापा कम होता है।

2. इससे कब्ज़ दूर होती है।

3. इससे आंतों के रोग नहीं लगते ।

4. प्रतिदिन ठंडा पानी पीकर इस आसन को करने से पेट साफ रहता है।

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3. धनुरासन-इसमें चित्त लेटकर और टाँगों को ऊपर खींचकर हाथों को घुटनों से पकड़ा जाता है।


विधि-इससे शरीर की स्थिति कमान की तरह होती है। धनुरासन करने के लिए पेट के बल भूमि पर लेट जाएँ । घुटनों को पीछे की ओर मोड़कर रखें। टखनों के समीप पाँवों को हाथों से पकड़ें। लंबी साँस लेकर छाती को जितना

हो सके ऊपर की ओर उठाएँ । अब पाँव अकड़ाएँ जिससे शरीर का आकार कमान की तरह बन जाए। जितने समय तक संभव हो, ऊपर वाली स्थिति में रहें। साँस छोड़ते समय शरीर को ढीला रखते हुए पहले वाली स्थिति में आ जाएँ । इस आसन को तीन-चार बार करें। भुजंगासन और धनुरासन दोनों ही आसन बारी-वारी करने चाहिएँ।


लाभ-1. इस आसन से शरीर का मोटापा कम होता है।

2. इससे पाचन शक्ति बढ़ती है।

3. गठिया और मूत्र रोगों से छुटकारा मिलता है।

4. आंतें अधिक ताकतवर बनती हैं।

5. रीढ़ की हड्डी तथा माँसपेशियाँ मज़बूत और लचकीली बनती हैं।

विटामिन

 पश्चिमोत्तानासन, पदुमासन एवं सर्वांगासन की विधियों एवं इनसे होने वाले लाभ 


1. पश्चिमोत्तानासन-इसमें पाँवों के अंगूठों की अंगुलियों को पकड़कर इस प्रकार बैठा जाता है कि धड़ एक ओर ज़ोर से चला जाए।


विधि-दोनों टाँगें आगे की ओर फैलाकर भूमि पर बैठ जाएँ । दोनों हाथों से पाँवों के अंगूठे पकड़कर धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए घुटनों को छूने की कोशिश करो। फिर धीरे-धीरे साँस लेते हुए सिर को ऊपर उठाएँ और पहले वाली स्थिति में आ जाएँ। यह आसन हर रोज़ दस-पंद्रह बार करना चाहिए।


लाभ-1. इस आसन से जाँघों को शक्तित मिलती है।

2. नाड़ियों की सफाई होती है।

3. पेट के अनेक प्रकार के रोगों से छुटकारा मिलता है।

4. शरीर की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है।

5. पेट की गैस समाप्त होती है।


2. पद्मासन-इसमें टाँगों की चौकड़ी लगाकर बैठा जाता है।


विधि-चौकड़ी मारकर बैठने के बाद दायाँ पाँव बाईं जाँघ पर इस तरह रखो कि दाएँ पाँव की एड़ी बाई जाँघ पर पेडू हड्डी को छुए । इसके पश्चात बाएँ पाँव को उठाकर उसी प्रकार दाएँ पाँव की जाँघ पर रख लें। रीढ़ की हड्डी बिल्कुल सीधी रहनी चाहिए। बाजुओं को तानकर हाथों को घुटनों पर रखो। कुछ दिनों के अभ्यास द्वारा इस आसन को बहुत ही आसानी से किया जा सकता है।


लाभ-1. इस आसन से पाचन शक्ति बढती है।

2. यह आसन मन की एकाग्रता के लिए सर्वोत्तम है।

3. दिल तथा पेट के रोग नहीं लगते।

4. यह आसन, कब्ज और फाइलेरिया जैसे रोगों को दूर करता है।


3. सर्वांगासन-इसमें कंधों पर खड़ा हुआ जाता है।


विधि-सर्वांगासन में शरीर की स्थिति अर्द्ध हल आसन की भाँति होती है। इस आसन के लिए शरीर को सीधा करके पीठ के बल ज़मीन पर लेट जाएँ। हाथों को जंघाओं के बराबर रखें। दोनों पाँवों को एक बार उठाकर हथेलियों द्वारा पीठ को सहारा देकर कुहनियों को ज़मीन पर टिकाएँ । सारे शरीर को सीधा रखें। शरीर का भार कंधों और गर्दन पर रहे। 


ठोड़ी कंठकूप से लगी रहे। कुछ समय इसी स्थिति में रहने के पश्चात् धीरे-धीरे पहली स्थिति में आएँ। आरंभ में आसन का समय बढ़ाकर 5 से 7 मिनट तक किया जा सकता है। जो व्यक्ति किसी कारण शीर्षासन नहीं कर सकते, उन्हें सर्वांगासन करना चाहिए।


लाभ-1. इस आसन से कब्ज़ दूर होती है और खूब भूख लगती है।

2. बाहर को बढ़ा हुआ पेट अंदर धँसता है।

3. शरीर के सभी अंगों में चुस्ती आती है।

4. रक्त का संचार तेज़ और शुद्ध होता है।

5. बवासीर के रोग से छुटकारा मिलता है ।

विटामिन ‘सी’

आसनों के लाभ -

1.हलासन, 2. शवासन, 3. वज्रासन, 4. शीर्षासन।


1. हलासन-इसमें Supine लेते हुए, टॉँगे उठाकर, सिर से परे रखी जाती हैं।


विधि-अपने पैरों को फैलाकर पीठ के बल लेट जाओ । हाथों की हथेलियों को ज़मीन से लगे रहने दो। कमर के नीचे वाले भाग को दोनों पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाते हुए इतना ऊपर उठाओ कि दोनों पैरों के अंगूठे सिर के पीछे की ओर ज़मीन से लगें । कुछ समय इस स्थिति के बाद पैरों को धीरे-धीरे अपनी पहली अवस्था में लाओ।


लाभ-1. यह आसन विशेषकर कमर से मोटापे को दूर करता है।

2. आँखों की रोशनी में बढ़ोत्तरी करता है।

3. चेहरा प्रसन्न रहता है।

4. रीढ़ की हड्डी लचीली हो जाती है।

5. यह आसन रक्त-संचार को ठीक रखता है।

6. यह आसन चर्म-संबंधी कई रोग दूर करता है।

7. यह आसन शरीर की दुर्गंध को दूर करता है और शरीर को सुंदर बनाता है।


2. शवासन-चित्त लेटकर शरीर को ढीला छोड़ दें।


विधि-शवासन में पीठ के बल सीधा लेटकर शरीर को पूरी तरह ढीला छोड़ा जाता है। शवासन करने के लिए जमीन पर पीठ के बल लेट जाओ और शरीर के अंगों को ढीला छोड़ दें। धीरे-धीरे लंबी साँस लो। 


बिल्कुल चित्त लेटकर सारे शरीर के अंगों को ढीला छोड़ दो। दोनों पाँवों के बीच में एक-डेढ़ फट की दूरी होनी चाहिए। हाथों की हथेलियों को आकाश की ओर करके शरीर से दूर रखो। आँखें बंद कर अंतध्ध्यान होकर सोचो कि शरीर ढीला हो रहा है और अनुभव करो कि शरीर विश्राम की स्थिति में है।

यह आसन 3 से 5 मिनट तक करना चाहिए। इस आसन का अभ्यास प्रत्येक आसन के शुरू तथा अंत में करना जरूरी है।


लाभ-1. शवासन से उच्च रक्त चाप और मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है।

2. यह दिल और दिमाग को ताज़ा करता है।

3. इस आसन द्वारा शरीर की थकावट दूर होती है।


3. वज्रासन-


विधि-घुटनों के भार बैठ जाओ। कमर और सिर को बिल्कुल सीधा रखो। अपने हाथों को घुटनों पर इस प्रकार रखें कि हथेलियाँ नीचे की तरफ हों। इस आसन में आपके दोनों पैरों की एड़ियाँ पूरी तरह नीचे होनी चाहिएँ । अपनी छाती और गर्दन को बिल्कुल सीधा रखें।


लाभ-1. इससे जाँघों, घुटनों, पिंडलियों एवं पंजों में पुष्टता आती है।

2. यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है।

3. इस आसन द्वारा पीठ दर्द दूर होता है।

4. शरीर का मोटापा कम होता है।

5. यह आसन मन को एकाग्र करने में सहायक होता है।

6. यह आसन स्मरण-शक्ति में वृद्धि करता है।


4. शीर्षासन-


विधि-घुटनों के भार बैठकर दोनों हाथों की अंगुलियाँ ठीक ढंग से बाँध लो और आसन पर रखो। सिर का आगे वाला भाग ज़मीन पर इस प्रकार रखो कि दोनों अंगूठे सिर के पीछे हों। टाँगों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाओ पहले एक टाँग को सीधा करें, फिर दूसरी को सीधा करने के पश्चात् शरीर को सीधा रखें। सारा वज़न सिर पर और भुजाओं पर रहे।


लाभ-1. शीर्षासन से मोटापा कम होता है ।

2. यह आसन भूख बढ़ाता है और जिगर ठीक प्रकार से कार्य करता है।

3. इस आसन से स्मरण-शक्ति बढ़ती है।

4. पेट ठीक रहता है।

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