हरियाणा का इतिहास
• हरियाणा शब्द का अर्थ है (भगवान) जो कि संस्कृत शब्द हरि (हिंदू देवता विष्णु) आयण (निवास) से मिलकर बना है।
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* पुराने समय में हरियाणा का प्रादेशिक नाम – ब्रह्मावर्त था।
* पुराने समय में हरियाणा को - ब्रह्म ऋषि प्रदेश कहा जाता था।
• पुराने समय में हरियाणा को ब्रहमा जी की उत्तर वेदिका कहा जाता था।
• मनुस्मृति में सरस्वती और दृषद्वती नदी के मध्य में स्थित प्रदेश ब्रह्मवर्त हरियाणा था ।
* हरियाणा को आदि सृष्टि का जन्मस्थान भी माना जाता है।
* हरियाणा को ‘हरियाणा’ चाहमण ग्रंथ में कहा गया है।
* हरियाणा की प्रकृति की उत्पत्ति – ब्रह्म जी
* पालन पोषण करने वाले – विष्णु जी
* महाभारत काल में (900 ईशा पूर्व लगभग) हरियाणा का नाम - बहुधान्यक
बहुधान्यक - अत्यंत अधिक समृद्ध भूमि
* कुरुओ द्वारा उपजाई गई भूमि – आदि रूपा
* महाभारत के समय में राजा कुरु के नाम पर कुरुक्षेत्र को आर्यवर्त कहा जाता था।
* ऋग्वेद काल में हरियाणा का नाम – रज हरियाणे
* डॉक्टर H.R. गुप्ता ने हरियाणा को कहा – आर्यना
* महाराज कृष्ण ने हरियाणा को कहा – हरना
* हरना का अर्थ – लूटना
* बाणभट्ट ने हर्षचरित में हरियाणा को कहा – श्रीकंठ जनपद
* बाणभट्ट ने हर्षचरित में कुरूक्षेत्र को कहा – श्रीकंठ जनपद
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व्यक्तियों द्वारा हरियाणा को दिए गए नाम
* यदुनाथ सरकार – हरियाल
* डॉ एच. आर. गुप्ता - आर्यना (आर्यों का घर)
* जी.सी. अवस्थी – ऋग्वेद से उत्पन्न
* महाराज कृष्ण – हरना (लूटपाट)
* डॉ बुद्ध प्रकाश – अभिरयाणा
* डॉ राहुल साकृत्यायन - हरिधानक्या
* 9 वी सदी में स्कंद पुराण में हरियाल (हरा भरा होने के कारण) कहा जाता था।
10 वीं सदी में पुष्पदंत द्वारा रचित महापुराण में हरियाणा को कहा – हरियाणाऊ
• वामन पुराण में हरियाणा में प्रवाहित होने वाली नदियों एवं वन्य क्षेत्रों का उल्लेख मिलता है पुराने समय में हरियाणा सरस्वती नदी के किनारे बसा था और वर्तमान में हरियाणा यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है।
• हरियाणा में संगीत के साक्ष्य – सुध (यमुनानगर)
• दूसरी शताब्दी – बैलगाड़ी पर संगीतज्ञ बैठे हुए थे।
हरियाणा का प्राचीन इतिहास
हरियाणा का वर्णन हमें तीनों कालों में मिलता है
1. प्रागऐतिहासिक काल - यह वह काल था जिसका कोई हमें लिखित साक्ष्य नहीं मिला। उदाहरण – पाषाण काल
2. आद्यऐतिहासिक काल - यह वह काल था जिसका हमें भत लिखित साक्ष्य तो मिला लेकिन पढ़ा नहीं गया। उदाहरण- सिंधु घाटी सभ्यता
3. ऐतिहासिक काल – यह वह काल था जिसका हमें लिखित साक्ष्य भी मिला और पढ़ा भी गया उदाहरण वैदिक काल और उत्तर वैदिक काल
1. प्रागऐतिहासिक काल - पुरापाषाण काल इसी का अंग था जिसमें आग की खोज हुई थी।
1. पिंजौर क्षेत्र (शिवालिक क्षेत्र)- मानव जीवन के प्रारंभिक साक्ष्य के रूप में हमें मानव खोपडी मिली है. जो कि 1. 5 करोड़ वर्ष पुरानी है। यह हरियाणा का सबसे प्राचीनतम साक्ष्य है। इसकी खुदाई डॉक्टर पिलग्रिम ने की थी।
स्थान – पिंजौर, सुकेतड़ी, कालका
2. अरावली क्षेत्र - फिरोजपुर झिरका (नूंह), कोटला आदि स्थानों पर चिकने गोलदार पत्थर वह चमकदार पत्थर मिले हैं।
Important- पुरा पाषाण काल प्राचीनतम साक्ष्य भारत में (भीम बेटका की गुफाएँ मध्यप्रदेश से मिली है)
2. मध्य पाषाण काल –
आद्यऐतिहासिक काल
• हरियाणा में हड़प्पा सभ्यता - हड़प्पा सभ्यता को सिंधु घाटी सभ्यता / सरस्वती सभ्यता के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यह सभ्यता सिंधु / सरस्वती नदी के किनारे पनपी थी। इस सभ्यता में सबसे पहले खोजा गया स्थल हड़प्पा था, इसीलिए इसको हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। हड़प्पा की खोज 1921 में दयाराम साहनी ने की थी।
• मनुष्य ने सर्वप्रथम धातु का प्रयोग किया - ताँबा
पालतू पशु - कुत्ता
• सर्वप्रथम कृषि के साक्ष्य – मेहरगढ़ (पाकिस्तान)
चावल के साक्ष्य – कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश)
* समय काल – C14 – 2350 - 1750 BC
* विस्तार
• पूर्व – आलमगीर (उत्तर प्रदेश) (हिंडन नदी)
• पश्चिम – सुल्कागेडोर(बलूचिस्तान) पाक (दाशक नदी)
• उत्तर – माण्डा (जम्मू कश्मीर) (चिनाब नदी)
• दक्षिण – दायमाबाद (महाराष्ट्र) (गोदावरी नदी)
• कषेत्रफल – 1299613 वर्ग किलोमीटर
• राष्ट्रीय स्तर का संग्रहालय बन रहा है – राखीगढी
हड़्पा सभ्यता - हड़णप्पा नाम क्यों पड़ा
सबसे पहले जो नगर खोजा गया वह हडप्पा था जो वर्तमान में पाकिस्तान में रावी नदी के किनारे पर स्थित है ।
नोट : हरियाणा में सबसे प्राचीन भिरडाना है ।
हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी ने की थी हड़प्पा सभ्यता का समय 2500 ई.पूर्व से 1750 ई.पूर्व मानी गई है। हडप्पा सभ्यता को सिंधु घाटी की सभ्यता भी कहा जाता है क्योंकि ये सिंधु नदी (रावी नदी) के किनारे फली
फूली थीं इसको ताम्र कालीन या कांस्य युग की सभ्यता भी कहा जाता है, क्योंकि हड़प्पा सभ्यता में कांस्य का प्रयोग सबसे ज्यादा किया गया था।
• इसका दूसरा नाम मोहनजोदड़ो था। इसकी खोज 1922 में राखलदास बनर्जी ने की थी। मोहनजोदडो सिंघु नदी किनारे पाकिस्तान में स्थित है मोहनजोदड़ो का अर्थ मृतकों का टीला है।
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> सिंधु घाटी सभ्यता के हरियाणा में प्रमुख केंद्र -
1. सीसवाल सभ्यता – इसकी खोज 1968 में डॉक्टर सूरजभान ने की थी, जोकि इतिहास के प्रोफेसर थी सीसवाल गाँव हिसार जिले में स्थित है । यहाँ पर ताँबे के औजार मिले हैं। यहाँ पर उस समय जाति नीग्रो आँस्ट्रेलियन सीसवाल जाति
थी। सीसवाल से मिले बर्तन राजस्थान के कालीबंगा से मेल खाते हैं। सीसवाल सभ्यता मुख्यत कृषक सभ्यता थी।
2. बनावली – बनावली फतेहाबाद का एक छोटा सा ग्राम है।
इसकी खोज लगभग 1973-74 में रविंद्र सिंह बिष्ट ने करवाई थी।
प्राप्त अवशेष
* यहाँ पर मिट्टी का हल, जौ के साक्ष्य मिले हैं।
* बैल गाड़ी के पहियों के निशान मिले हैं।
* मुद्रा पर विचित्र पशु अंकित (धड़ – सिंह, सिंग बेल) ।
* बाणाग्र ताँबे का था।
* अधजले जौ के अवशेष
* मिट्टी के बने खिलौने
3. राखीगढ़ी
* हिसार (एशिया का सबसे बड़ा टीला)
* राखीगढ़ी (हिसार) में स्थित है राखीगढ़ी भारत में दूसरा सबसे बड़ा हडप्पा कालीन स्थल है-
(पहला धौलावीरा) इसकी उत्खनन 1963- 69 में डॉक्टर सूरज भान तथा 1997-99 अमरेंद्रनाथ के द्वारा किया गया। राखीगढ़ी (प्राचीन समय में चोटांग नदी दृषद्वती) के किनारे बसा हुआ था।
• राखीगढ़ी को मोहनजोदड़ो की बहन भी कहा जाता है।
अवशेष – विश्व विरासत कोष की मई 2012 में रिपोर्ट में खतरे में एशिया के विरासत स्थलों में राखीगढ़ी स्थल भी शामिल था। भारतीय पुरातत्व विभाग ने राखीगढ़ी में तकरीबन 5000 वर्ष पुरानी कई वस्तुएं बरामद की थी ।
राखीगढ़ी में लोगों के आने-जाने के लिए बने हुए मार्ग, जल निकासी की प्रणाली, बारिश का पानी एकत्रित करने का विशाल स्थान था कांस्य सहित कई धातुओं की वस्तुएं मिली थी । गेहूं, जौ,
चावल के साक्ष्य भी मिले और चित्रित मृदभांड भी मिले ।
4. भिरड़ाना - भिरड़ाना भारत के उत्तरी राज्य हरियाणा के फतेहाबाद जिले का एक छोटा सा गाँव है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के शोध से पता चलता है कि यह सिंधु घाटी सभ्यता का अब तक का खोजा गया सबसे प्राचीन नगर है।
नोट : हरियाणा में हड़प्पा सभ्यता का सबसे प्राचीन स्थल HSSC के अनुसार भिरड़ाना ही माना गया है। यह नगर सरस्वती नदी के किनारे स्थित है। इसका उत्खनन 2003-04 में शुरू किया गया था।
5. कुणाल (फतेहाबाद) – सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ गाँव है। इसकी खोज1986 में जे. एस खत्री और एम आचार्य के द्वारा की गई थी।
नोटः- यहाँ से हमें एक राजा का मुकुट मिला है जो सिंधु सभ्यता से पहले की सभ्यता का है।
प्राप्त अवशेष- - 6000 वर्ष पुराने मनके मिले हैं, मछली का काँटा मिला है। ताँबे की अंगूठियाँ, चपटी कुल्हाड़ी (तॉबे) की, दो शाही मुकुट और सोने व चाँदी की मोहरें, उल्टे V आकार के बाणअग्र प्राप्त हुई हैं।
6. भगवानपुर (कुरुक्षेत्र) – सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ है इसकी खोज आर एस विष्ट ने की थी 1975-76 में की थी, इसका उत्खनन जगदीश जोशी (जी० पी० जोशी) ने किया था।
* भगवानपुरा जिसे भागपुरा के नाम से भी जाना जाता है यह एक पुरातात्विक स्थल है जो हकरा घग्गर चैनल के किनारे स्थित हैं चित्रित ग्रोवेयर आमतौर पर वैदिक लोगों के साथ जुड़ा हुआ है।
अवशेष – काँच व ताँबे की चूड़ियाँ
हड़प्पा सभ्यता में चूड़ियों के अवशेष कहाँ से मिले हैं कालीबंगा (राजस्थान)।
* मृदभांड (उत्तर हड़प्पा कालीन) ।
7. मिताथल (भिवानी) – इसकी खोज 1967 – 68 में डॉक्टर सूरजभान ने की थी। यहाँ पर अवशेष हड़प्पा सभ्यता से पहले के भी और बाद के भी तथा महाजनपद के समय के भी अवशेष मिले हैं।
प्राप्त अवशेष – गुप्तकालीन तथा कुषाण कालीन कनिष्क के सिक्के, समुन्द्रकालीन सिक्के, सोने, चाँदी की मोहरें, ताँबे की कुल्हाड़ी, दो भालों के साथ + ताँबे के 13 छल्ले, मिट्टी तथा ताँबे की चूड़ियाँ, हाथी दाँत की पिन।
8. फरमाना खास (दक्षखेड़ा) - रोहतक -इसकी खोज डॉ विवेक दांगी ने की थी और हड़प्पा सभ्यता का दूसरा सबसे बड़ा शहर माना जाता है।
अवशेष – यहाँ से कब्रिस्तान में 70 शव दफनाने का खुलासा किया गया है । जबकि उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में सनाऊली में दफन स्थल जिसमें 116 कब्रें हैं। यहाँ से सेलखड़ी की 4 मोहरें और नर कंकाल व आभूषण मिले हैं।
9. दौलतपुर (कुरुक्षेत्र) - यहाँ से मिट्टी की मोहरें मिली हैं, यह स्थान प्राचीन समय में चोटांग नदी के किनारे था।
10. गिरावड (रोहतक) - इसका उत्खनन 2006 को विवेक दांगी ने किया था। यहाँ से मृदभांड पकाने के लिए दो भट्टियाँ मिली थी।
11. बालू – कैथल
खोजकर्ता - 1977 डॉक्टर सूरजभान
प्राप्त अक्शेष – लाल व स्लेटी रंग की मिट्टी के बर्तन
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