Computer Kya Hai in Hindi
कम्प्यूटर का परिचय
‘कम्प्यूटर देवाय नमः । कम्प्यूटर शरणम् गच्छामि।
यह कोई श्लोक नहीं है, बल्कि आज के जनमानस के विचार हैं।
जिस तरह बिजली (इलेक्ट्रिसिटी) हमारे जीवन का एक हिस्सा बन गई है और उसके न होने पर हम परेशान हो जाते हैं, वैसे ही कम्प्यूटर भी हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया है ।
हमारी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति करने वाली यह मशीन दिन प्रतिदिन और विकसित होती जा रही है और अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार करती जा रही है।
यदि किसी व्यक्ति के पास इंटरनेट और मल्टीमीडियायुक्त कम्प्यूटर है तो उसे टेप रिकॉर्डर, रेडियो, टेलिविजन, डी.वी.डी. प्लेयर, टाइपराइटर खरीदने की आवश्यकता नहीं क्योंकि इनके कार्य कम्प्यूटर पर किए जा सकते हैं। किसी भी मशीन को हम तीन प्रमुख कारणों से प्रयोग करते हैं :
1. कार्य शीघ्र करने हेतु
2. अम की बचत हेतु
3. शत-प्रतिशत सही परिणाम हेतु
COMPUTER |
कम्प्यूटर हमारे मस्तिष्क द्वारा किए जाने वाले कायों में सहायक है जिसमें उपरोक्त तीनों ही गुण विद्यमान हैं। आइए, अब यह देखें कि मानव मस्तिष्क किस प्रकार के कार्य करता है। मानव मस्तिष्क सामान्यत: तन प्रकार के कार्य ही करता है :
1. मेमोरी स्टोरेज
2. कैलकुलेशन
3. तर्क-वितर्क (रीजनिंग)
कम्प्यूटर भी ये तीनों कार्य करता है। अत: हम कह सकते हैं कि कम्प्युटर में कृत्रिम बुद्धि होती है, जिसके आधार पर कम्प्यूटर किसी बात को याद रखने, कैलकुलेशन कर परिणाम देने और तर्क- वितर्क द्वारा सोच विचार कर समस्या का समाधान करने में सहायक होता है। कम्प्यूटर की कृत्रिम बद्धि को हम प्रोग्राम कहते हैं जिसके आधार पर कम्प्यूटर ये कार्य करता है।
कम्प्यूटर अंग्रेजी का एक शब्द है जिसे निम्न प्रकार परिभाषित करके समझा जा सकता है
C Calculate
O Organize
M Memorise
P Print
U Update
T Tabulate
E Edit
R Response
उपरोक्त शब्दों से आप अनुमान लगा सकते हैं कि कम्प्यूटर क्या कार्य करता है, परंतु यदि आप कम्प्यूटर की वास्तविक परिभाषा पर ध्यान दें तो इसका अर्थ बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगा।
कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जिसमें ‘रॉडेटा’ देकर उसे ‘प्रोग्राम ‘ के नियंत्रण द्वारा ‘मीनिंगफुल इन्फॉर्मेशन’ में बदला जाता है।
अर्थात कम्प्यूटर एक प्रोसेसिंग मशीन है।
परंतु यह रॉ-डेटा, प्रोग्राम और मीनिंगफुल इन्फॉर्मेशन क्या है?
कम्प्यूटर को दिए जाने वाले ऐसे इनपुट जो किसी जानकारी के निर्माण में सहायक होते हैं, रॉ-डेटा कहलाते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप मार्कशीट बनाना चाहते हैं तो इसके लिए विद्यार्थी का नाम, रोल नम्बर, प्रत्येक विषय और उसके अंक रॉ-डेटा होंगे।
आधुनिक कम्प्यूटर में डेटा शब्दों में ही नहीं बल्कि, आवाज, चित्र, चलचित्र, वीडियो आदि किसी भी रूप में दिया जा सकता है अर्थात जिस तरह हम समाचार पत्र पढकर, रेडियो पर समाचार सुनकर या टी.वी. पर घटनाओं की वीडियो देखकर जानकारी प्राप्त करते हैं और उसे अपने मन मस्तिष्क से एडिट करके दूसरों को बता सकते हैं, वैसे ही कम्प्यूटर भी नाना प्रकार से मिलने वाले इनपुट को प्राप्त करके प्रॉसेस कर सकता हैं।
निर्देशों के श्रृंखलाबद्ध समूह को प्रोग्राम कहते हैं। कम्प्यूटर में बुद्धि नहीं होती। कारण कि कम्प्यूटर एक कृत्रिम मशीन है। यह केवल विद्युत संकेतों और स्विचों की ऑन-ऑफ अवस्थाओं को समझता है।
कम्प्युटर को क्या काम करना है और वह कैसे किया जाएगा यह निर्देश कम्प्यूटर की विशेष भाषाओं (प्रोग्रामिंग लैंग्वेज) में लिखकर कम्प्यूटर को देने होते हैं।
कार्य के प्रत्येक स्टेप को बहुत ही स्पष्ट करते हुए क्रमबद्ध करके लिखा जाता है ताकि कम्प्यूटर उस प्रोग्राम में दिए गए प्रत्येक स्टेप को बारी-बारी से समझते हुए उसका अनपालन कर सके और कार्य ठीक प्रकार हो जाए। कम्प्यूटर को दिए जाने वाले निर्देशों के इस समह को ही प्रोग्राम कहते हैं।
कम्प्यूटर एक बुद्धिहीन नौकर की तरह केवल वही कार्य करता है जिसका निर्देश प्रोग्राम में दिया जाता है। यदि आप त्रुटिपूर्ण निर्देश दे देंगे तो कार्य भी त्रटिपूर्ण होगा और गलत परिणाम आ जाएगा, परंतु यदि सही निर्देश देंगे तो कम्प्यूटर स्वयं कोई गलती नहीं करेगा।
आपके मन में यह प्रश्न उठ सकता है कि क्या रेलवे. बैंक, ऑफिस, हॉस्पिटल आदि में भिन्न-भिन्न प्रकार के कम्प्यूटर प्रयोग किए जाते हैं? नहीं।
सभी जगहों पर एक ही प्रकार के कम्प्यूटर होते हैं परंतु इनमें प्रोग्राम अलग-अलग होते हैं, जिसके कारण ये भिन्न-भिन्न संस्थानों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हैं।
निष्कर्ष यह निकलता है कि कम्प्यूटर को कार्य करवाने का श्रेय प्रोग्राम को ही जाता है। अत: प्रोग्राम के न होने पर कम्प्यूटर खुद कुछ नहीं कर सकता।
मीनिंगफुल इन्फॉर्मेशन
डेटा को प्रोसेस करने के बाद कम्प्यूटर उसको एक जानकारी के रूप में प्रस्तुत करता है जिसे मीनिंगफुल इन्फॉर्मेशन कहते हैं।
उदाहरण के लिए यदि आपने मार्कशीट बनाने के लिए डेटा दिए हैं तो अंकों का योग, प्रतिशत, कुल योग और दी गई शर्त के आधार पर प्रथम, द्वितीय अथवा तृतीय श्रेणी (Division) जो कम्प्यूटर प्रदर्शित करेगा, वही
मीनिंगफुल इन्फॉर्मेशन होगी।
अब यह तो स्पष्ट है कि कम्प्यूटर हमारे दैनंदिन के कार्यों में सहायता करने वाली एक मशीन है जिसकी स्वयं कोई बुद्धि नहीं होती परंतु हमारे द्वारा दी गई कृत्रिम बुद्धि (प्रोग्राम) के आधार पर गणितीय अथवा तर्क-वितर्क वाली समस्याओं को हल करने और सूचनाओं को मेमोरी में स्टोर रखने में सक्षम है। आइए, अब यह देखें कि कम्प्यूटर की विशेषताएं क्या हैं जिसके कारण यह इतना प्रचलित और लोकप्रिय है।
कम्प्यूटर की विशेषताएं
कम्प्यूटर की प्रमुख विशेषताएं जो उसे मानव मस्तिष्क से भी श्रेष्ठ बनाती हैं निम्न प्रकार हैं :
कम्प्यूटर किसी भी गणना या समस्या का हल बहुत ही सूक्ष्म समय में कर लेता है।
जिस तरह कैलकुलेटर द्वारा आप बड़ी- बड़ी संख्याओं को पलक झपकते ही कैलकुलेट कर लेते हैं, वैसे ही नहीं बल्कि उससे भी शीघ्र कम्प्यूटर किसी कैलकुलेशन या दी गई शर्तों को आधार मानकर तर्क-वितर्क द्वारा परिणाम दे सकता है। कैलकुलेटर से शीघ्र इसलिए कि कैलकुलेटर में हमें संख्याओं के साथ +, - , *, %, : आदि चिन्हों को बार-बार टाइप करना होता है जबकि कम्प्यूटर में यह कार्य एक बार प्रोग्राम में ही करना होता है, संख्याएं (डेटा) देते समय नहीं।
तीव्र गति |
तीव्र गति का सीधा प्रभाव कार्य क्षमता पर पडता है। यदि कम्प्यूटर 30 मिनट के कार्य को 3 मिनट में कर देता है तो इसका अर्थ है कि वह 10 दिन के कार्य को 1 दिन में कर देगा।
ऑफिसों में कर्मचारियों को वेतन देने से पहले उनकी छूट्टियों, बोनस, एडवांस आदि के आधार पर कैलकुलेशन करना होता है।
पहले जब यह कार्य मैनुअली होता था तो 10 दिन पहले से कैलकुलेशन की कार्यवाही शुरू हो जाती थी और अक्सर ठीक समय पर पूरे स्टॉफ का वेतन कम्प्यूट नहीं हो पाता था।
परिणास्वरूप 1 तारीख को जगह 8 या 10 तारीख को वेतन मिल पाता था, परंतु आज कम्प्यूटर की सहायता से 2-3 दिन में ही यह कार्य पूरा हो जाता है।
यथार्थता अर्थात accuracy कम्प्यूटर का एक और प्रमुख गुण है। वास्तविकता यह है कि कम्प्यूटर अपने कार्य को सुगम बनाने के लिए अपनी ओर से कोई छोटा रास्ता नहीं निकाल सकता, जैसे कि मनुष्य निकाल लेता है।
उदाहरण के लिए यदि मनुष्य को 279.3819843 का 72.110019 से गुणा करने को दिया जाए तो वह पहले राउण्ड फिगर 279.38 और 72.11 बना लेगा और गुणा करेगा, परंतु कम्प्यूटर ऐसा नहीं कर सकता, अत: बिल्कुल यथार्थ परिणाम देता है।
कम्प्यूटर द्वारा प्राप्त परिणाम में दोष तभी सम्भव है जब या तो प्रोग्राम में निर्देश गलत दिया जाए अथवा डेटा गलत इनपुट किया जाए। कम्प्यूटर स्वयं कोई गलती नहीं करता, अत: कम्प्यूटर के परिणाम को सर्वोत्तम और विशुद्ध माना जाता है।
कम्प्यूटर निरंतर एक जैसा कार्य करता है। वह किसी बाहरी व्यवधान द्वारा कार्य से भटकता नहीं और घण्टों काम करने के बाद भी थकता नहीं, अत: उसके कार्य में कोई अंतर नहीं आता ।
मनुष्य यदि कोई मानसिक कार्य करे तो बाहरी व्यवधान (जैसे म्यूजिक) द्वारा भटक सकता है और कार्य में बाधा या दोष आ सकता है, परंतु कम्प्यूटर पर बाहरी वातावरण का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। मनुष्य लगातार कुछ समय कार्य करने के बाद थक जाता है अतः उसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है और कार्य में धीरे-धीरे दोष बढ़ने लगता है परंतु कम्प्यूटर के साथ ऐसा नहीं है।
सार्वभौमिकता
सार्वभौमिकता जिसे अंग्रेजी में versatility कहते हैं, कम्प्यूटर का वह गुण है जिसके द्वारा वह नाना प्रकार के कार्य कर सकता है।
एक ही कम्प्यूटर बैंक में एकाउण्ट्स का काम करता है, इंजीनियरिंग विभागों में पल, भवन, मशीनों, वाहनों आदि का अभियांत्रिक डिजाइन बनाता है, रेलवे और एयरलाइंस में रिजर्वेशन करता है. प्रकाशन क्षेत्र में पुस्तकों, मैगजीन , अखबार आदि की पृष्ठ सज्जा करता है। यानी प्रत्येक क्षेत्र में किसी भी सीमा में बंधे बिना ही काम करता है। कम्प्यूटर की इस बहुमुखी प्रतिभा में दिन-प्रतिदिन नए आयाम जुड़ते जा रहे हैं।
आजकल टेलीविजन और फिल्मों के क्षेत्र में कम्प्यूटर का मल्टीमीडिया उपयोगी सिद्ध हो रहा है और इंटरनेट के माध्यम से सम्पूर्ण विश्व एक नेटवर्क से जुड़कर global village बन गया है जिसमें कोई भी व्यक्ति दर किसी देश या महाद्वीप के लोगों से इस तरह व्यवहार कर सकता है जैसे वह एक ही गांव में रहते हैं।
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